उसने कहा बदसूरत दिखती हू मैं ,
मैंने भी पूछ लिए क्यूँ ..???
उसने कहा क्योंकि गरीब हू मैं ,
स्थिर सा रह गया उसका जवाब सुन कर मैं ,
सोचने लगा कही सही तो नहीं कह रही वो ,
आजकल के बदलते ज़माने में खूबसूरती को अमीरी से ही जाना जाता है ।
फिर अंदर से एक आवाज़ आयी ,
जिसने खूबसूरती की पहचान करवाई ।
मैं मुडा उसकी तरफ और बोला,
बेशक़ गरीब हो तुम पर खूबसूरत हो तुम ।
उसने कहा कपडे मैले हैं मेरे ,
मैंने कहा चरित्र साफ़ है तुम्हारा ।
उसने कहा चेहरा मुरझाया है मेरा ,
मैंने कहा आँखों में चमक है तुम्हारे ।
उसने कहा जूते फटे है मेरे ,
मैंने कहा कदमो में जान है तुम्हारे ।
उसने कहा हाथ गंदे है मेरे ,
मैंने कहा इन्ही में पहचान है तुम्हरी। ,
उसने कहा फुटपाथ पे रहती हू मैं ,
मैंने…
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Saandar….
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Thanks 🙂
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Jabardast…prernadayak…sach….
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Thanks 🙂
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That ending though👌👌👌
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