एक शब्द भी नही कहता मुझ से वो ,
बस आँखों ही आँखों में बाते किया करता है ।
आवाज़ तक की पहचान नही मुझे उसकी
बस आँखों की भाषा सीधे दिल में उतरती है।
पीछा करती हु उसका,शायद कुछ कहे वो मुझ से ।
मौका देती हु उसको,शायद आके मिले वो मुझसे।
ना चाहत है उसको मेरे आसिया में आने की,
ना मन्नत है उसके मेरे साथ दो घडी बिताने की,
ना इरादे है उसकी मेरे साथ सपनो का महल सजाने की,
फिर क्यों पता नही आदत सी है उसको मेरे खवाबो में आने की।
ना खाव्हिसे है उसकी कुछ सुनने और सुनाने की,
ना ही खुद के एहसास जगाने की,
फिर क्यों पता नही आदत सी है उसको मेरे खवाबो में आने की।
अनगिनत बाते होती है हर पलक के गिरने और उठने के साथ,
वो मंज़र बया कैसे करे जब होता है हाथो में मेरे तेरा हाथ।
एक अनजाना सा ख्वाहिसों का सफर तय…
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Waah…. Kya khub likha h
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Thank you 🙂
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Welcome
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शानदार ख्वाहिशें!!
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Thank you 🙂
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वाह—शानदार जितना तारीफ करूँ कम है।
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Thank you so much. Im glad you like it. 🙂
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Swagat aapka..
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Beautiful poem and sweet one👌
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वाह दीदी बहुत ही अच्छा लिखा है आपने 👌👌👌👌👌
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