शाम के अँधेरे सा, बादलो की परछायी सा है वो ,
घटाओं की काली छाया सा, धुंधला सा एक चेहरा है वो ।
हलकी सी एक आहट और बढ़ती दिल की धड़कन सा है वो ,
एहसास है कही उसके आने का,
क्या नाम है उसका? कहाँ से आया है वो?
क्यों आया है वो ? क्या लेकर जायेगा वो ?
गहरी सी परछाई उसकी किसी अपने के होने का एहसास कराती है ,
हलकी सी आँखों की चमक उसकी दिल को छु के जाती है ।
छुपी हुई होठों की मुस्कान उसकी हवाओ में जादू सा ले आती आती है ,
देख मेरा दिवानगी को, लबो तले खामोशी से मुस्कुराया है वो ।
क्या नाम है उसका? कहाँ से आया है वो?
क्यों आया है वो ? क्या लेकर जायेगा वो ?
उसकी अधूरी मुलाकात से ही जीवन के रंग बदल जाते है ,
कब सामने आएगा वो इस खवाहिश तले हम दबे जाते है ।
दीदार उसका अब तो मेरा मकसद बन गया है ,
वक़्त भी अब तो उसकी हाज़री में ठहर गया है ,
इस इंतज़ार की इंतेहा को देकर कुछ इतराया है वो ।
कब आएगा वो ? कहाँ से आएगा वो ?
क्यों आया है वो ? क्या लेकर जायेगा वो ?
अब तो इंतज़ार में रैना भी ढलने लगी है ,
सुबह की सर्द हवाएं चलने लगी है ,
एक सर्द हवा के झोके न रात की खामोसी को जगाया,
नैन खुले और रैन ढले तो समझ आया,
एक ख्वाब था वो, सपनो की दुनिया से आया था वो ,
एक एहसास था वो जो दिल में बसने आया था वो ,
अज़नबी था कोई जो अपना बनने आया था वो ,
एक ख्वाब था, जो मुझको चुराने आया था वो ।
~Jyoti Yadav
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