कोई मिले हमें भी जो हमारे दिल की दलीलें पेश कर पाएँ
एक अरसे से दूसरों के वकीलों ने तारीख़ें लगवा रखी हैं।
-Jyoti Yadav
कोई मिले हमें भी जो हमारे दिल की दलीलें पेश कर पाएँ
एक अरसे से दूसरों के वकीलों ने तारीख़ें लगवा रखी हैं।
-Jyoti Yadav
“हमसफ़र संग बैठ भी जब अकेला लगे
तब समझना होगा की अब सिर्फ़ सफ़र रह गया है हम कहीं खो गए हैं”
-Jyoti Yadav
कुछ अल्फ़ाज़ मोहब्बत जैसे पहले भी सुने थे मैंने मगर तुम क्या मिले हर लफ़्ज़ की क़ीमत समझ आ गई घंटो किसी की एक झलक का इंतज़ार करना किसी के ना होने से जहाँ ख़त्म लगना ओर अगर आँख से आँख उसकी मिल जाए तो नज़र चुराने की अदा मुझमे आ गई । किसी के ख़यालों में दिन रात गुम रहना किसी की बातों में हर पल मशगूल रहना ओर अगर बात उससे बात करने की हो तो बिन शब्दों के सब कह देने की कला मुझमे आ गई । सुबह के ख़याल से रात के ख़्वाब तक सफ़र का साथी वही है ना ज़माना बेख़बर है ओर ना हमने नक़ाब ओढ़ें है मगर बात उससे आमन सामना करने की हो तो जाने कहाँ से शर्म ओर हया मुझमे आ गई । ये बेशक पहला प्यार है मेरा नयी हु मैं इन रास्तों में मगर सिद्दत कुछ यूँ है दिल ओ दिमाग़ में की पहला प्यार की आख़िरी हो इतनी वफ़ा मुझमे आ गई ।।
-Jyoti Yadav
Don’t let flow your words and thoughts in the sailing boat of a paper. Because a paper’s boat can’t sail against the high waves of ocean. Perhaps, This burden is from the pyramid of cluttered confused words of mind. If words are clean and transparent enough then Boat of paper also sails over the ocean.
Meaning: Don’t let your emotions see by this careless world. This world will not understand them. Your emotions, your thoughts will be lost into the darkness of this world.
The Author says “ Your words should be clear and transparent enough to understand by this world. Indeed they will listen and follow them. This is the power of clear and strong thoughts”.
कल इन सरसराती हवाओं से बचने को बरसो पुराना एक कोट निकला था आज हाथों की सफ़ेद सुर्ख़ियाँ छुपाने को हाथ कोट की जेब में डाला था लगा ऐसे जैसे किसी अपने ने हाथ थम लिया हो ओर मेरा हाथ पकड़ मुझे पहचान लिया हो फिर चुभन भी हुई दिल की साथ ऊँगली में ठंडी हवाओं ने फटकारा तभी उस भारी महफ़िल में होश सा हुआ तो सोचा देखू कौन सा अपना है ये या फिर यूँ ही वहम ओर सपना है ये काँपता हुआ हाथ जब जेब से बाहर आया सदियों से गुमनाम तुम्हारा झुमका मेरी हथेली पे पाया !!
-Jyoti Yadav
कितनी चमक है एस साँवले रंग में
कभी आइने से एक मुख़्तसर मुलाक़ात तो करो
आँखे चौंधिया जायेंगी ये रंग देख कर
पलकों को उठाने की शुरुआत तो करो ।
-Jyoti Yadav
अब तो ऐतबार कर लेना होगा की दुनिया की भीड़ में हम बहुत पीछे छूट गए है क़तरा क़तरा समेटा ज़िंदगी भर ओर आज किसी ओर के हाथों से फिसल कर टूट गये है ।
~Jyoti Yadav
Kitne dafa alfazo or khyalo ki guftgu me
kagaz or kalam me fasle barkrar rah gye…!!!
~Jyoti Yadav
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