Today’ woman is educated, independent, strong and leading in every field. But along with the progress and competition, somewhere they have forgotten their femininity. They are more into competition with men rathar than strengthen themselves.

True purpose of women empowerment has been lost. Now a days, woman are leaving their ethics, culture and traditions behind for wrong sake of women empowerment.

त्राहि त्राहि है आज नारी शक्ति के नाम पर
नारी एक शक्ति है विश्वास है 
न लुप्त करो नारित्व को
नारी शसक्तीकरण के नाम पर।

जाने वो सभ्यताए आज कहाँ खो गई है 
देख इस कलयुग को तो भारत माता भी रो गई है ।

ना आज वो पायल की छम छम है
ना आज वो चूडी की खन खन है
ना आज वो माथे पे बिंदिया है 
ना आज वो लहराती चुनरिया है ।

क्यूंकि

आज की नारी स्वतंत्र है ,शिक्षित है 
आज की नारी अकेले ही पूरी और विकसीत है।
उल्हास है नारी आगे बढ़ रही है
और तररकी की सीढ़ी चढ़ रही है।

वक़्त इस गति से बदल रहा है
की हर कोई पश्चिमीकरण की और ढल रहा है।
सभ्यताओं को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ाना
शायद संस्कारो का मरण है
क्या बिंदिया चूड़ी और पायल से दूर हटना ही
नारी शसक्तीकरण है?
क्या पहनावा और भेष बदलना ही 
महिला शसक्तीकरण है?

आज को महिला पुरुषों से समानता दिखाने की होड़ में है
उनसे ज्यादा उनसे बेहतर कर दिखाने की दौड़ में है।

ये कोई मुकाबला नहीं
जिसमे किसी को हारना या जीतना है
ये जीवन दो पहिये की गाड़ी है 
जिसे दोनों को मिल कर खींचना है।

नारी एक शक्ति है नारी एक भक्ति है
ऐ नारी इतना भी न आक्रोश में आओ
की नारी शक्ति से नारित्व ही लुप्त हो जाये

नारी एक पूजा है नारी एक देवी है
ऐ नारी न इतना आधुनिकरण को अपनाओ
की नारी शक्ति से नारित्व ही गुप्त जो जाये।

त्राहि त्राहि है आज नारी शक्ति के नाम पर
न लुप्त करो नारित्व को नारी शसक्तीकरण के नाम पर।

-Jyoti Yadav

Published by Jyoti

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