शांत मन

ना जाने शांत मन कैसा होता है

कैसा चेहरा है उसका

जाने कैसा दिखता है ..???

सालों से ढूँढ रही हूँ उसको मैं

कभी घर में कभी बाहर में

खेल में मैदान में

ओर आज कल तो ऑफ़िस में भी खोजतीं हु उसको

कुछ किताबें भी पढ़ी है उसके बारे में

सकड़ो लेख पढ़े है

लाखों ख़यालात भी सुने है उसके बारे में

लोग कहते है

शीतल छाया सा है वो

निर्मल काया सा है वो

हरयाली बाग़ सा है वो

सुनसान जांगल सा है वो

सख़्त से खड़े पहाड़ सा है वो

कभी बहती नदी तो कभी ठहरे जल सा है वो

कानो में बजे वो बाँसुरी सा है वो

कभी रात के सन्नाटे सा है वो

सुना ओर पढ़ा बहुत है

की ऐसा करो वैसा करो

तप करो योग करो

पूजा करो साधना करो

सब करके देख लिया

फिर भी ना उसने दर्श दिया

जाने कब तक यूँ ही भटकना पड़ेगा

उसकी तलाश में

उसकी प्यास में

हर बार थक कर फिर से

लग जाती हु कुछ ओर जतन करने

शायद कभी तो मुलाक़ात हो उससे

बस इसी एक आस में ।।

-Jyoti Yadav